कौन सुनेगा भूली बिसरी कौन सुनाने आएगा।

कल ख़ामोश सदायें लेकर कौन मनाने आएगा।।


आज मिले हो तो आँखों ही आँखों में कह लो सुन लो

कल सूनापन हाल न पूछेगा  न बताने आएगा।।


कभी कभी अल सुबह स्वयं से उठने की आदत डालो

 हम  न रहेंगे कल तब तुमको कौन जगाने आयेगा।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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