सुदामा बहुत हैं कन्हैया कहाँ हैं......

न तो अब रार की बातें करें।
न तो तकरार की बातें करें।।
सियासत से बहुत मन भर चुका है
चलो अब प्यार की बातें करें।।
चलो अब देश को आगे बढ़ाएं
सभी सहकार की बातें करें ।।


तू किसी शख्स से दगा मत कर
या मुझे दोस्त भी कहा मत कर
दोस्ती में नहीं जगह इसकी
वेवजह शुक्रिया गिला मत कर
दुनियादारी भी इक हकीकत है
खुद को ख्वाबों में मुब्तिला मत कर
तू किसी से बुरा कहा मतकर
तू किसी से बुरा सुना मत कर
तू भलाई न कर गुरेज नही
पर किसी के लिए बुरा मत कर
दोस्ती उम्र भर का सौदा है
रस्म इक रोज का अदा मत कर


वो ग्वाले वो गोकुल वो गैया कहाँ हैं
सुदामा बहुत हैं कन्हैया कहाँ हैं......
वो पनिहारिने और पनघट कहाँ है
जो मटकी को फोड़े वो नटखट कहाँ है
जो लल्ला पे रीझी थीं मैया कहाँ हैं..... 
सरेआम पट खींचते हैं दुशासन
चहूँ ओर हैं Iगोपिकाओं के क्रंदन
पांचाली के पत का रखैया कहाँ है.....
अर्जुन को उपदेश अब कौन देगा
गीता का सन्देश अब कौन देगा
वो मोहन वो रथ का चलैया कहाँ है.. ..
बाल होठों पे मुस्कान आने को तरसे
बालिकाएं निकलती हैं डर डर के घर से
कलियानाग का वो नथैया कहाँ है....
नंदलाला वो बंशी बजैया कहाँ है।....

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