चलेगा यदि हमें दुनिया न समझे।

खलेगा तू अगर अपना न समझे।।


हमें हरगिज़ ज़हां सच्चा न समझे।

हमारा यार तो झूठा न समझे।।


हमें ख़ुद्दारियों की छत मिली है

ज़माना क्यों हमें उजड़ा न समझे।।

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