बरसात
बरसा रात झमाझम खूब।
बदली थी बेमौसम खूब।।
जैसे बिजली चमकी हो
तेरी एक तबस्सुम खूब।।
कल जाने क्या बात हुयी
तारे रोये शबनम खूब।।
उसकी मस्तं निगाही से
झूमे था दो आलम खूब।।
साजे-दिल इक टूट गया
तूने छेड़ा सरगम खूब।।
बदली थी बेमौसम खूब।।
जैसे बिजली चमकी हो
तेरी एक तबस्सुम खूब।।
कल जाने क्या बात हुयी
तारे रोये शबनम खूब।।
उसकी मस्तं निगाही से
झूमे था दो आलम खूब।।
साजे-दिल इक टूट गया
तूने छेड़ा सरगम खूब।।
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