बुद्ध !तुम तो जानते थे ,

बुद्ध !तुम तो जानते थे ,
साधना हित वन गए थे ,
और फिर राहुल की मां ने,
अनवरत की थी प्रतीक्षा .....
और यदि विपरीत इसके ,
यशोधरा वन गमन करती '
क्या उसे तुम मान देते ,
क्या यूँही करते प्रतीक्षा ?
अप्प दीपो भव !का नारा ,
बुद्ध तुमने ही दिया है ,
स्त्रियाँ अब दीप बनकर ,
राह दिखलाने लगी हैं ।
जो बताई राह हमने ,
उससे कतराने लगी है ||
तुम बताओ साधना वश ,
जब उसे भी ज्ञान मिलता ।
लुम्बिनी में लौटने पर
क्या उसे वह मान मिलता ?
जो तुम्हे सबसे मिला था !!!!!!!!!!

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