Coherism / Syncritism / समन्वयवाद

🚤⛵🚤⛵🚤⛵🚤⛵🚤⛵🚤⛵

मनुष्य के अंदर दो प्रवृत्तियाँ पायी जाती है।विग्रह और समन्वय ।समन्वय से सृजन होता है।और विग्रह विध्वंस का कारक है।किन्तु समन्वय सर्वग्राह्य है।अतः समन्वय मनुष्य की स्वाभाविक प्रकृति है।यदि इस प्रवृति को व्यवस्था का रूप दे दिया जाये तो समाज की विषमताओं को नियंत्रित किया जा सकता है। यह विचार ही #समन्वयवाद (COHERISM) है।
मेरे इस विचार के मानने वाले #समन्वयवादी ( COHERIST)  कहलायेंगे।
समन्वयवाद के प्रतिपादक : Suresh Sahani 

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा