सत्रह आज शहीद हुए हैं।
सत्रह आज शहीद हुए हैं
दुःख का कोई छोर नहीं है।
आज युवाओं में गुस्सा है
मत पूछो किस ओर नही है।।
सन् पैंसठ में लाल बहादुर
ने तुमको ललकारा था
इकहत्तर में इंदिरा जी
पटक पटक कर मारा था
अरि के चरणों पर झुक जाये
वो अपना शिरमौर नही हैं।।
कितने तू हथियार जुटा ले
कितना भी गोले बम जोड़े
तेरे रक्षा बजट से ज्यादा
बच्चे यहां पटाखे फोड़ें
दुश्मन को समझा देना है
सैंतालिस का दौर नहीं है।।
लाल बहादुर ने बोला था
सुबह चाय लाहौर में लेंगे
याकूब और याहिया खां को
उनका दण्ड वहीं पर देंगे
एक के बदले दस मारेंगे
अभिलाषा कुछ और नही है।।
हम मुस्लिम हैं या हिन्दू हैं
वीर हमीद के जैसा खूँ है
तू तो है नाखून बराबर
फिर तुझको काहे की बू है
धूल चटाई तुमको जिसने
हम थे कोई और नही है।।
कल तक था भूभाग हमारा
ननकाना और सिंध हमारा
है बलूच पंजाब हमारा
है सारा कश्मीर हमारा
दुःख होता जब पढ़ता हूँ
अब अपना लाहौर नहीं है।।
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