हम नेता हैं …।
लिख लेते हैं ,पढ़ लेते हैं।। चले जहाँ से वहीँ खड़े है, सब जातों में हमी बड़े है, अपनी जाति यहाँ ज्यादा है, चलो यहीं से लड़ लेते हैं।। आना फ्री है ,जाना फ्री है, पकड़ गये तो खाना फ्री है, सरकारी सम्पति है अपनी बिना टिकट ही चढ़ लेते है।। भ्रष्टाचार में नंबर वन हैं, भारत के हम सभी रत्न हैं, लूट हुयी तो टूट पड़ेंगे, वरना आगे बढ़ लेते हैं।। हर विरोध के परहेजी हैं, हम औलादें अंग्रेजी हैं, सत्ता के संग निष्ठां अपनी हर अवसर हम तड़ लेते हैं।। माननीय की मनमानी हैं उन्हें शर्म ही क्यूँ आनी है, जहाँ प्रश्नहो नैतिकता का हमीं शर्म से गड़ लेते हैं।। हिंदी लगे अम्मा जईसी और बहुरिया यो अंग्रेजी अम्मा घर द्याखें औ लरिका लिए बहुरिया उड़ लेते हैं।। लिख लेते हैं........ |
Comments
Post a Comment