चीन से युद्ध छेड़ना कितना उचित होगा?

अभी कुछ दिनों पहले ही जनरल विक्रम सिंह जी ने कहा था ,कि हमारे पास युद्ध की स्थिति में पंद्रह दिन से अधिक भिड़ने का साजो सामान नहीं है । चीन आज विश्व की पहले नंबर की आर्थिक और सामरिक शक्ति है । सबसे अधिक स्वर्ण और विदेशी मुद्रा भंडार चीन के पास है । अमेरिका ,रूस और यूरोपीय यूनियन के देश चीन के पैसों से अपनी ढहती अर्थव्यवस्था को सम्हाल रहे हैं । चीन दुनिया का सबसे बड़ा हथियार विक्रेता है और भारत सबसे बड़ा खरीदार है । हम अपनी तकनीक से एक ढंग की रिवाल्वर नहीं बना पाए हैं ,और चीन  निर्मित ए के -47 दुनिया का नब्बे प्रतिशत आतंकवादी लेकर घूमता है । भारत के कितने नेता हैं जिनके पुत्र सेना में हैं?जबकि चीन का हर नागरिक तीन साल की सेवा सेना में सैनिक के रूप में देता है । हम दुनिया के सबसे बड़े कर्जदार देश हैं । क्या यह युद्ध हमें आर्थिक मजबूती देगा?सीमा पर जो तनाव है वह इसीलिए है क्योंकि आजतक भारत और चीन की सीमारेखा का निर्धारण नहीं हुआ है । एक आभासी सीमारेखा ही इसकी पूरक मानी गयी है । हमने भी दक्षिणी चीन सागर में हस्तक्षेप किया हुआ है ,जिसका चीन लगातार विरोध कर रहा है । बताईये चीन से युद्ध छेड़ना कितना उचित होगा?यादव शम्भू के अनुसार"युद्ध किसी भी स्थिति में ठीक नहीं होता है ...यह तो जीओ पॉलिटिक्स है भारत अगर अमरीका के शासक अमरीका वर्चस्व के पीठु बनाने कीई कोशिश में रहेंगे तो ..चीन इसका प्रतिरोध करेगा ... और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह स्थिति दोनों देशो के शासक वर्गों के अनुकूल है .....जनता के बीच जितना रास्ट्रवाद फैलाया जा सकता है फैला लें ....ताकि पूंजीपति अपनी मजे स अपनी दुकानदारी चला सकें .।,, .हम चीन से डरने की बात नहीं कह रहे हैं ,केवल युद्ध टालने की बात कह रहे हैं । फिर युद्ध के कई और प्रारूप भी हैं । अप्रत्यक्ष युद्ध ,कूटनीतिक मोर्चाबंदी और आर्थिक घेरेबंदी भी युद्ध के ही प्रकार हैं । चीन का ताईवान ,जापान ,द .कोरिया ,वियतनाम ,फिलिपीन ,अमेरिका , नाटो देशों से विवाद जगजाहिर है । नास्त्रदामस ने भी भविष्यवाणी की है ,जिसके अनुसार तीसरा विश्व -युद्ध पीली चमड़ी वाले शुरू करेंगे । सब ओर से घिरे समुद्र पर युद्ध होगा । धीरे धीरे पूरी दुनिया दो गुटों में बंट जाएगी । रूस ,पाकिस्तान ,उत्तर कोरिया चीन के साथ होंगे । अमेरिका और शेष पीली चमड़ी के देश दुसरे पक्ष में होंगे । भारत तटस्थ भूमिका में रहेगा ।फिर इस बात की पूरी तहकीकात होनी चाहिए की वे कौन लोग हैं जो युद्ध की पैरवी कर रहे हैं या मुबाहिसों में युद्ध के पक्ष में बोलते हैं और देश की जनता को भड़काते हैं । कहीं वे किसी हथियार कम्पनी के दलाल लोग तो नहीं हैं । आखिर युद्ध में तो सैनिक ही मरता है और केवल इंसानियत हारती है ।

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