शरद, शक्कर और सट्टा
देश में चीनी के दाम एकाएक पचास रुपये तक जा पहुँचे। चीनी के बारे में कृषिमन्त्री के बयानो ने जताया कि चीनी की अगले तीन साल तक कमी बनी रहेगी।देश की सौ करोड़ जनता प्रति माह एक किलो के औसत से चीनी का उपभोग करती है। इस हिसाब से यदि तीस रु. तक दाम बढे़ तो हर महीने लगभग तीन हज़ार करोड़ रु. का हेर-फ़ेर हुआ है। यानि एक वर्ष के बफ़र स्टाक पर खेला गया खेल लगभग तीस हज़ार करोड़ का घोटाला हो सकता है।आज मन्त्री जी किसानों के दर्द को समझने की बात कह रहे हैं । मगर ये वो किसान हैं कारपोरेट हैं। कांग्रेस की मजबूरी हो सकती है,मगर मुलायम और अन्य विपक्ष क्यों मौन रहा ये समझ में नही आता।माना कि शरद पवार अर्थशास्त्री नहीं हैं किन्तु उस खेल के मसीहा हैं जो सट्टे बाजी का पर्याय बन चुकी है।