भगत सिंह के सहयोगी थे वीरों के सरदार जी।
राजगुरु सुखदेव सरीखे थे जीपी कटियार जी।।
पावन है बिल्हौर हमारा पावन अपनी खजुरी
वीर प्रसूता धरा जहाँ की है धरती की धूरी
कितने वीर यहाँ जन्मे हैं कोई इससे बुझे
महादीन थे सत्तावन में अंग्रेजों से जूझे
अपने गया प्रसाद इन्ही घर आये बन उजियार जी
आज़ादी के हित फहराई ऐसी एक पताका
बम्ब बनाकर दिया भगत को ऐसा करो धमाका
जो गूँजें उस इंक़लाब से लन्दन तक थर्राये
अविजित अंग्रेजी शासन की चूलें तक हिल जाएं
किया देश की आज़ादी का स्वर्णिम पथ तैयार जी
अंग्रेजी जेलों में थे सत्ताइस साल बिताए
सही यातना किंतु न अपने मुख पर उफ़ तक लाये
वीर शिवा की संतानें कब अरि सम्मुख झुकती हैं
वीरों की गति पाकर अंतिम मंजिल ही रुकती है
उनकी स्मृति के वाहकहैं अपने क्रान्ति कुमार जी
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