दैरोहरम को छोड़ के आ मैक़दे चलें।

हर ग़म से मुँह को मोड़ के आ मैक़दे चलें।।


जन्नत में भी शराब मिलेगी तो क्या बुरा

तौबा को फिर से तोड़ के आ मैक़दे चलें।।

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