न सँवर सके न सुधर सके
गए तुम तो हम भी गुज़र गए
तेरे साथ जितना चले चले
तेरे बाद जैसे ठहर गए।।
तेरी तरह हम न बदल सके
रहे जैसे वैसे ही रह गये
तेरे साथ चलना था दो कदम
तेरे बाद थम के ही रह गये
कभी मंज़िलों ने भुला दिया
कभी छोड़ राहगुज़र गए।। न सँवर......
तुम्हें देखना है तो देख लो
यहीं पास अपनी मज़ार है
दो घड़ी सुकून से बैठ लो
वो ख़मोशियों का दयार है
फ़क़त इसलिए कि पता रहे
जो अदीब थे वो किधर गए।।न सँवर......
यहाँ आके आँखें न नम करो
तुम्हें किसने बोला कि ग़म करो
जिसे प्यार था वो चला गया
तो क्यों पत्थरों को सनम करो
जो असीर थे वो नहीं रहे
तेरे हुस्न के भी असर गए।।न सँवर......
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