सचमुच आईना टूटा है।

या कोई सपना टूटा है।।


 हीर कोई मजबूर हुई क्या

या कोई राँझा टूटा है।।


नग़में झरतें हैं अश्कों में

क्या कोई इतना टूटा है।।


दुश्मन हैं तो भी अपने हैं

मत कहना रिश्ता टूटा है।।


आ सकते हो सहन समझकर

दिल का दरवाजा टूटा है।।


ख़ूब मियादेग़म से उबरे

अब जाकर पिंजरा टूटा है।।


मुश्किल ही है फिर जुड़ पाये

वो किरचा किरचा टूटा है।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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