एक तरफ हैं छोटे मोटे सपने पाले लोग।

एक तरफ हैं ख़्वाब लूट ले जाने वाले लोग।।


एक तरफ हैं सीधे सादे भोले भाले लोग।।

एक तरफ हैं घात लगाए गड़बड़झाले लोग।।


 धूसर तन की उजले मन की जनता एक तरफ

एक तरफ हैं श्वेत वसन धर मन के काले लोग।।


बूट पहन पर कालीनों पर दर्प उगलते झुण्ड

इधर सड़क पर खार चूमते पहने छाले लोग।।


दिन भर ख़ट कर एक तरफ मजदूरी को तरसे

एक तरफ हैं देश लूटते बैठे ठाले लोग।।


वतन बेचते नेताओं की महफ़िल उधर सजे

इधर मुल्क़ पर मिटते रहते हैं मतवाले लोग।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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