यहाँ सब गुल ओ लाला दिख रहा है।

मुझे हर सूं उजाला दिख रहा है।।

दिखाओ लाख बातें  दो जहाँ की

मैं भूखा हूँ  निवाला  दिख रहा है।।

हमें जो दाल काली दिख रही थी

वही मुर्ग़-ओ-मसाला दिख रहा है।।

अभी कुछ दिन उसी की ही चलेगी

अभी वो औज़-ए-ताला दिख रहा है।।

मैं अँधा हूँ दिवाली ही कहूंगा

बला से वो दिवाला दिख रहा है।।

मेरी शादी कराची में करा दो

मुझे इमरान साला दिख रहा है।।

वो कुछ भी बेचता है बेचने दो

हमें वो काम वाला दिख रहा है।।

तुझे अच्छा नहीं देगा दिखाई 

मुझे तू आँख वाला दिख रहा है।।

मेरे आका को तुमसे क्या मिलेगा

उसे धीरू का लाला दिख रहा है।।

सुरेशसाहनी, कानपुर

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