मैं गांधी जी की निंदा करता हूँ।महाजनो येन गतः स पन्था,। जैसा बड़े लोग करें वैसा ही अनुसरण करना चाहिए। ऐसा करने से आदमी सीएम पीएम और सेलिब्रेटी  बन सकता है।और फिर वचने का दरिद्रता, एक गाली ही तो देना है।फेमस होने का ये आसान तरीका है। गान्धी जी ने उस दक्षिण अफ्रीका में विक्टोरिया शासन का विरोध करने का दुस्साहस किया, जहाँ भारत से लोग अधिकृत गुलाम बनाकर ले जाये जाते थे। अब इस विरोध से भारत का क्या लेना देना। वे सम्पन्न परिवार से थे।महंगे महंगे सूट पहनते थे।दिखावे के लिए आधी धोती पहनने लगे।फिर जीवन भर नहीं पहने।उन्होंने जन आंदोलनों में भामाशाहों की जरूरत को समझते हुए उन्हें जोड़ा।इसकी आड़ में देश की बहुतेरी गरीब जनता के त्याग और बलिदान बेमानी हो गए।हाँ इसका बड़ा लाभ यह हुआ कि जन आंदोलनों की सबसे बड़ी समस्या आर्थिक तंगी दूर हो गयी।और भारत को एक राष्ट्रीय नायक मिल गया। वे देश के कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की बात करते थे।इस वजह से भी देश को भारी नुकसान हुआ।देश का वैसा औद्योगिक विकास नहीं हो पाया आज जैसा मोदी जी कर रहे हैं। गांधीजी देश को मोटा खादी पहनने का सन्देश देते रहे।इससे देश फैशन के क्षेत्र में पिछड़ गया वरना आज हॉलीवुड में प्रियंका चोपड़ाओं का राज होता।उन्होंने सूत कातने वाले चरखे चलवाये।इससे देश में आधुनिक तकनीक की मशीनें नहीं लग पायीं।अन्यथा आज हमारा देश मैनचेस्टरों का देश होता।सबसे बड़ी बात कि उन्होंने उन अंग्रेजों का विरोध किया जिनकी भाषा जानते ही गंवार आदमी भी महाविद्वान माना जाता है। यदि आज वे यहाँ होते तो देश का बच्चा बच्चा अंग्रेजी में पोटी करता।तब सोच नहीं शौचालय की जरूरत न पड़ती।कान्वेंट स्कूलों की जरूरत न पड़ती।देश का हर आदमी डॉक्टर,इंजीनियर ,बैरिस्टर और प्रोफेसर होता।सड़े से सड़ा लेखक भी बुकर अवार्डी होता।हर पत्रकार संपन्न होता।और हम भी अमेरिका और ब्रिटेन की बराबरी में खड़े मिलते।गांधीजी ने सचमुच देश का बड़ा नुकसान किया है।

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