माना जंगल पुरखतर है।

उससे बदतर तो शहर है।।


आदमी ज्यादह बुरा है

जानवर तो जानवर है।।


आज किस पर हो भरोसा

जबकि अपनों से भी डर है।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा