हमने समझा वे सबको घर देंगे।

क्या पता था वे सिर्फ़ डर देंगे ।।


उनके वादे तो थे करोड़ों के

अब वे हम आप को सिफर देंगे।।


भाईचारे पे इक सवाल न हो

इतनी नफरत दिलों में भर देंगे।।


हौसले तक जिन्होंने छीन लिए

वो कहां हमको बालो पर देंगे।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा