किसी को छोड़ किसी को लपेट देता है।

वो ताश की तरह दुनिया को फेंट देता है।।

वो चाहता है तो, प्यादे वज़ीर बनते हैं

बिछा के वरना बिसातें समेट देता है।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है