ऐसा क्या दिखता है मुझ में।

कोई लाल लगा है मुझमें।।

आधी सदी बिता ली मैंने

क्या कुछ अभी बचा है मुझमें।।

पहले से कुछ बदल गया हूँ

ऐसा कौन हटा है मुझमें ।।

कोई है जो शरमाता है

ऐसा कौन छुपा है मुझमें।।

मुझ जैसे हारे की चाहत

ऐसा क्या देखा है मुझमें।।

हालत मेरी फ़क़ीरों जैसी

फिर वो क्या पाता है मुझमें।।

#सुरेशसाहनी ,कानपुर

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