हम तेरे हुस्न के इतने भी तलबगार नहीं।

इश्क़ वाले हैं कोई इश्क़ के बीमार नहीं।।

इसमें झुकने के झुकाने की कोई बात कहाँ

दिल की दुनिया किसी सुल्तान का दरबार नहीं।।

सुरेशसाहनी ,कानपुर।

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