वो अपनी सरकार सम्हालें।
हम अपना घरबार सम्हालें।।
नफ़रत में डूबी है दुनिया
हम सब मिलकर प्यार सम्हालें।।
तब ज़मीर था खुद्दारी थी
अब कैसे किरदार सम्हालें।।
लोकतंत्र है राम भरोसे
अपना कल अख़बार सम्हालें।।
बुद्ध कर्पुरी जेपी गाँधी
आख़िर कितनी बार सम्हालें।।
चोर सम्हल जायेंगे मितरों
कैसे चौकीदार सम्हालें।।
अब कितना विश्राम करेंगे
प्रभु आकर संसार सम्हालें।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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