और कितना वफ़ा करे कोई।

इश्क़ पर भी मिटा करे कोई।।


दे रहा है जो बददुआ कोई।

चुप रहे या गिला करे कोई ।।


किसकी ख़ातिर हुआ करे मजनूँ

जब न लैला हुआ करे कोई।।


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