तुम्हारी ख़्वाहिशों से थक गया हूँ।

बड़ी फरमाइशों से थक गया हूँ।।


निभाने की कोई सीमा तो होगी

कि अब गुंजाइशों से थक गया हूँ।।


ये क्या दिन रात का सजना संवरना

बहुत  आराईशों से थक गया हूँ।।


अभी दरकार है कुछ ज़हमतों की

बड़ी आसाइशो से थक गया हूँ।।


मुझे बेलौस कुछ तन्हाईयाँ दो

कि इन फहमाइशों से थक गया हूँ।।


सुकूँ के वास्ते दो ग़ज़ बहुत है

बड़ी पैमाइशों से थक गया हूँ।।


भले तन साफ है पर साहनी जी

दिली आलाइशों से थक गया हूँ।।


ख़्वाहिश/ इच्छा, फरमाइश/मांग, गुंजाइश/सम्भावना,क्षमता, आराइश/श्रृंगार, दरकार/आवश्यकता ज़हमत/कष्ट, तन्हाई/एकांत

आसाइस/सुविधाएँ, आराम, बेलौस/निस्पृह,बेमुरव्वत

फहमाइश/ सलाह, समझाना, चेतावनी

सुकूँ/शांति, पैमाइश/नाप-जोख, भूसंपत्ति

पैमाइश, आलाइश/मैल, प्रदूषण


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है