शम्स का पाला बदलना ठीक है।
बर्फ़ रिश्तों में पिघलना ठीक है।।
क्यों कुहासे की रजाई में छुपे
सुब्ह सूरज का निकलना ठीक है।।
रंज था जो तुम निगाहों से गिरे
हाँ मगर गिर कर सम्हलना ठीक है।।
शीत से लड़ने की ज़िद मत ठानिये
क्या बुढ़ापे में उछलना ठीक है।।
कोहरा है धुँध है सर्दी भी है
घर मे रहिये क्या टहलना ठीक है।।
जिनको बीपी है शुगर है ध्यान दे
खून का कितना उबलना ठीक है।।
वक़्त के साँचे में मत ढल साहनी
धार के विपरीत चलना ठीक है।।
सुरेश साहनी,कानपुर
9451545132
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