हम तो गज़लों के ढेर कहते हैं।
सिर्फ़ ऊला के शेर कहते हैं।।
काफिया औ रदीफ़ क्या मालूम
शब्द कुछ बेर बेर कहते हैं।।
कोई चरबा करे कोई चोरी
करके कुछ हेर-फेर कहते हैं।।
साठ की उम्र और दिलबाज़ी
जब जगे तब सबेर कहते हैं।।
आप के फाख्ते उड़ें बेशक़
हम तो तीतर बटेर कहते हैं।।
आप ग़ालिब के हैं चचा तो क्या
सब हमें भी दिलेर कहते हैं।।
साहनी हैं मिजाज़ के नाज़ुक
शेर लेकिन कड़ेर कहते हैं।।
ऊला/शेर की प्रथम पंक्ति
काफिये/समान ध्वनि वाले शब्द
रदीफ़/ अन्त्यानुप्रासिक शब्द या शब्द समूह
बेर बेर/ बार बार, चरबा/नकल
दिलबाज़ी/ दिल्लगी, लम्पटगिरी
ग़ालिब/प्रभाव , कड़ेर/ कठोर
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