इसी जगत में लाओगे क्या।

फिर इन्सान बनाओगे क्या।।


आख़िर इस आने जाने में

 प्रभु तुम कुछ पा जाओगे क्या।।


अबलायें फिर खतरे में हैं

अब भी दौड़े आओगे क्या।।


दीन हीन है धर्म धरा पर

आकर वचन निभाओगे क्या।।


दुनियादारी के पचड़ों में

फिर से हमें फँसाओगे क्या।।


पूछा है नाराज़ न होना

फिर गलती दोहराओगे क्या।।


सुरेश साहनी , अदीब कानपुर

9451545132

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