दर्दोग़म हम भूल चुके हैं।

उनके सितम हम भूल चुके हैं।।


भूल गये हैं ज़ख़्म उभरना

हर मरहम हम भूल चुके हैं।।


क्यों अब उनको याद रखे जब

अपना हम हम भूल चुके हैं।।


आप अभी तक उन बातों पर

हैं बरहम हम भूल चुके हैं।।


सूख चुका है दिल का दरिया

अब संगम हम भूल चुके हैं।।


सुरेश साहनी कानपुर

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