भले उड़े चिन्दी पर चिन्दी।

भले लगे कवियों पर बिंदी ।।

हिंदी पर कविता मे चाहे

जैसे आये आये हिंदी ।।


बच्चे पढ़ते कॉन्वेंट में

हिंदी क्या देती प्रजेंट में

जोड़तोड़ में कहां मजा है

जउन मजा है सेटलमेंट में


ऐसे ही कविता लिखनी है

आप भले समझें तुकबन्दी।। साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है