और होंगे जो ग़ज़ल लिखते हैं।

हम तो इस दिल की नकल लिखते हैं।।

हम तो जाने हैं कुटी है लेकिन

वो मेरे दिल को महल लिखते हैं।।

हम अँधेरे में भी हैं रोशन रुख

क्यों मेरे रुख को कँवल लिखते हैं।।

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