जब हम अपना चाहने वाला ढूढ़ेंगे।

बेशक़ कोई हमसे आला ढूढ़ेंगे।।


कुछ शातिरपन हो मेरे हरजाई में

एक ज़रा सा दिल का काला ढूढ़ेंगे।।


इन आँखों ने सिर्फ़ अंधेरे देखे हैं

उन नैनों से रोज उजाला ढूढ़ेंगे।।


वो किस्मत की चाबी लेकर आएगा

फिर दोनों किस्मत का ताला ढूढ़ेंगे।।


अब सुरेश पहले मैख़ाने जायेंगे

तब हम काबा और शिवाला ढूढ़ेंगे।।


सुरेश साहनी

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