आज मुँह मोड़कर मेरा दिल तोड़कर

तुम कहाँ चल दिये राह में छोड़कर...


जबकि वादा था सेहरे में आओगे तुम

लाज का मेरी घूँघट उठाओगे तुम

तुम तो खुद चलड़िये चूनरी ओढ़कर


साथ गन्तव्य तक तुमको आना भी था 

जब वचन दे दिये तो निभाना भी था

तार तोड़ो न तुम नेह के जोड़कर

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