अपना कहीं पड़ाव नहीं है।

रुकने का भी चाव नहीं है।।


जैसा हूँ वैसा दिखता हूँ

ज़्यादा बोल बनाव नहीं है।।


क्यों उनसे दुर्भाव रखूँ मैं

बेशक़ उधर लगाव नहीं है।।


पैरों में छाले हैं लेकिन

मन पर कोई घाव नहीं है।।


मन क्रम वचन एक है अपना

बातों में बिखराव नहीं है।।


जीवन है इक बहती नदिया 

पोखर का ठहराव नहीं है।।


राम सुरेश न मिल पाएंगे

अगर भक्ति में भाव नहीं है।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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