जब ढाई आखर में सारे 

जीवन का सार समाया है।

फिर लम्बी चौड़ी रचनायें

लिखने से क्या हासिल होता।।

जब मानव ने पढ़ लिया प्रेम

तब रहा न कोई लोभ शेष

तब दुनिया भर के धर्म ग्रंथ

पढ़ने से क्या हासिल होगा।।

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