एक चम्मच प्यार वाली चाय हो।

फिर भले पत्ती उबाली चाय हो।


हर सुबह बस इतनी ख्वाहिश है मेरी

आप हों और एक प्याली चाय हो।।


चाय के संग मुस्कुराते यार हों

फिर भले पत्ती उबाली चाय हो।।


काश वो दिन लौट आएं प्यार के

फिर वही कमबख्त काली चाय हो।।


शाम को अंगूर की बेटी भली

पर सुबह रिश्ते में साली चाय हो।।


सुरेश साहनी कानपुर

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