अँजुरी भर क्या धूप मिल गयी

तुम समझे सूरज गुलाम है।

और तुम्हारी सेवा करना 

सूरज का इक यही काम है ।।


तुमने सोचा चाँद सितारे 

तुम कह दो तो रोशन होंगे

तुम कह दो तो हवा बहेगी

तुम कह दो गुल गुलशन होंगे।।


तुमसे होगी फस्ले-बहारा

तुम बिन रुत पतझार रहेगी

तुमसे नाव चलेगी जग की

तुम बिन भव मझधार रहेगी


इस भ्रम तुम में तुम फूले ऐंठे

इस भ्रम में तुम में बल निकले

और एक दिन अहंकार में

साँस थमी औ तुम चल निकले।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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