मैं अपना संकुचित हृदय ले आऊंगा जब प्यार जताने

तब तुम अपने पूरे हक़ से  प्रणय निवेदन ठुकरा देना


मैंने कब चाहा तुम जाओ बागों में वन या उपवन में 

तुमको चूमे मलय समीरें आग लगायें मेरे मन में

ऐसे दृष्टिकोण से तुमको जब जब आऊं प्यार जताने

तुमको हक़ है  तब तुम मुझको बिन देखे ही लौटा देना.....


तुम सा सुन्दर साथी प्रियतम कौन नहीं पाना चाहेगा

कौन नहीं तव अन्तस् प्रिय आलय बनवाना चाहेगा

प्रेम कसौटी पर कसना तुम  जो आये अधिकार जताने

मैँ भी अगर खरा ना उतरूँ हक़ से खोटा ठहरा देना.......

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