अपना आना बता दिया होता।

हमने दामन बिछा दिया होता।।

मुद्दतों बाद आप आये हैं

इक ज़रा मुस्करा दिया होता।

आपकी इस ज़रा सी ज़हमत पर

हमने क्या क्या लुटा दिया होता।।

तार टूटे दिलों के जुड़ जाते

आपने गुनगुना दिया होता।!

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है