भूख को रोटी कहूँ और प्यास को पानी लिखूं ।

यानि तुम जो चाहते हो ,मैं वही बानी लिखूं ।

जब बुझे चूल्हे की ठंडक से बशर जलते मिले,

और हुकूमत से बगावत के धुंए उठते मिले,

मैं इसे जनता क़ी गफलत और नादानी लिखूं।.... भूख को

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