मेरी आँखों मे जग सारा देख लिया।

उसका घर संसार हमारा देख लिया।।

जगह बना ली मेरे दिल के कोने में

कैसे उसने दिल का द्वारा देख लिया।।

उसने अपनी झील सरीखी आंखों में

मेरे जैसा एक शिकारा देख लिया।।

मैं ख़ुद में डूबा रहता हूँ मौजों ने

कैसे मुझ में एक किनारा देख लिया।।

फिर भी मैं उन आंखों का सैदाई हूँ

जिन ने मुझमें एक सितारा देख लिया।।


सुरेश साहनी

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