पाँच हो चार हो कि तीन रहे।

जो रहे बस तमाशबीन रहे।।

कुल मिलाकर यहीं कहेंगे हम

ज़िंदगानी के दिन हसीन रहे।।

पेंचोखम हो कि ज़ेरो बम सब थे

हश्र से फिर भी मुतमईन रहे।।

होश आते ही बोझ लाद लिए

उम्र भर हम कोई मशीन रहे।।

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