इश्क़ के पैरोकार हैं हम भी।

आशिकों में शुमार हैं हम भी।


हुस्न का नाम ज़ालिमों में है

और उसका शिकार हैं हम भी।।


दिल किसी ग़ैर को न् दे बैठें

उन से कह दो निसार हैं हम भी।।


वो हमारा सुकूने दिल है तो

उसके दिल का करार हैं हम भी।।


गुल का ख़ुद पर यूँ रश्क़ ठीक नहीं

उससे कह दो बहार हैं हम भी।।


तोड़ कर दिल उन्हें क़रार मिला

तो कहाँ सोगवार हैं हम भी।।


उनको आने ही दो अयाँ होकर

आज कुछ बेक़रार हैं हम भी।।


सुरेश साहनी कानपुर

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