तुम्ही बोलो तुम्हें कैसे मनाऊं।

कहाँ से चाँद तारे तोड़ लाऊं।।

ये तुम पर है हमें कितना झुकाओ

मगर इतना नहीं कि टूट जाऊँ।।

तुम्हें मेरी उदासी चुभ रही है

तुम्हारी किस अदा पर मुस्कुराऊँ।।

तुम्हें हर पल बदलते देखता हूँ

तुम्हें क्या नाम दूँ कैसे बुलाऊँ।।

अगर तुम पास होते भूल जाता

तुम इतने दूर हो कैसे भुलाऊँ।।

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