धर्म ग्लानि तो बहुत हो चुकी अब कब आओगे।

धरा पाप भी बहुत ढो चुकी अब कब आओगे।।

एक द्रोपदी की पुकार सुन दौड़ पड़े थे नाथ

नारी अब सर्वस्व खो चुकी अब कब आओगे।।

सुरेश साहनी कानपुर

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