भाव मुखरित हो गये फिर

आज जब तुम याद आये।

मौन सहमति पर अधर ने

गीत नयनों से बहाये।।


स्वप्न थिरके फिर नयन में

नींद बरसों बाद आयी

रातरानी सी महक इक

फिर से साँसों में समायी


यूँ लगा फिर से हमारी

गैल पर हम लौट आये।।......

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