मेरे अंदर का नचिकेता डरा हुआ है

और सामने का ऋषि कुल अब

अभिचिन्तन से मरा हुआ है


कल कोई मुझको अज्ञानी कह सकता है

देशद्रोह से आरोपित कर

खालिस्तानी कह सकता है


पहले यम उत्तर देते थे शांत भाव से

लोकतंत्र का यम ईवीएम

मार रहा है अब चुनाव से

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है