औरों में शामिल रहकर भी 

औरों से आगे चलना है

भीड़ हमारे साथ चलेगी

हमको भीड़ नहीं बनना है


पैदा होना कुछ दिन जीना

मरकर मिटटी में मिल जाना

इसमें अपना योगदान क्या

सब कुदरत का ताना बाना


कल निश्चित में नहीं रहूँगा

लेकिन मेरी कहानी होगी

मेरे कृत्य मेरी गाथाएं

जग को याद जुबानी होंगी।।

Suresh Sahani

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