ऐ ख़ामोश कलम कोई कविता तो लिख

वक़्त हो गया आवाज़ों के उठने का

सन्नाटों के बहरेपन को क्या सहना

मौका है हालातों पर फट पड़ने का

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है