जब धनुष बाण को धारण कर
ले परशु हाथ में वह धीवर
निर्भय अरण्य में फिरता है।
वह सिंह शौर्य धारी विशेष
उस एकलव्य का तेज देख
खुद महाकाल भी डरता है।।
~सुरेश साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

अपरिभाषित

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है